जबलपुर. मप्र हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा है कि विभिन्न भर्तियों में अन्य पिछड़ा वर्ग के अभ्यर्थियों के होल्ड पदों पर नियुक्ति क्यों नहीं दी जा रही है। चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत एवं जस्टिस विवेक जैन की युगलपीठ ने शिक्षा विभाग, आयुक्त लोक शिक्षण, आयुक्त जनजातीय कार्य विभाग एवं कर्मचारी चयन मंडल को नोटिस जारी कर जवाब पेश करने के निर्देश दिये है।दरअसल यह मामला पन्ना निवासी सूर्या श्रीवास सहित कई जिलों के 35 अभ्यर्थियों की ओर से दायर किया गया है। जिसमें ओबीसी के 13 प्रतिशत पदों को होल्ड करने को चुनौती दी है। याचिकार्ताओं की ओर से अधिवक्ता विनायक प्रसाद शाह, पुष्पेंद्र कुमार शाह, रूप सिंह मरावी ने बताया कि पूर्व में हाईकोर्ट ने उस याचिका को खारिज कर दिया है, जिसमें ओबीसी के 13 फीसदी पद होल्ड करने के आदेश दिए गए थे।

दलील दी गई कि जब याचिका ही निरस्त हो चुकी है तो अब सरकार को होल्ड पदों पर नियुक्ति प्रक्रिया शुरू कर देनी चाहिये। न्यायालय को बताया गया कि हाल ही में पुलिस कांस्टेबल भर्ती 2023 के विज्ञापन में भी उक्त याचिका का हवाला देकर ओबीसी के 13 प्रतिशत पद होल्ड करने की जानकारी दी गई थी। अब याचिका निरस्त होने के बावजूद सरकार द्वारा मनमाने तरीके से पुलिस कांस्टेबल भर्ती पदों को होल्ड कर मार्च 2025 में रिजल्ट जारी किया गया है।
इससे स्पष्ट है कि सरकार की ओबीसी को उसका अधिकार देने की मंशा नहीं है। सरकार के इस रवैये के कारण एक ओर जहां हजारों पद रिक्त हैं वहीं दूसरी ओर विभिन्न भर्तियों के हजारों की संख्या में मेरिटोरियस उत्तीर्ण अभ्यर्थी का भविष्य अधर में लटका हुआ हैं, लेकिन सरकार उन पदों पर भर्ती नहीं कर रही है। सुनवाई पश्चात न्यायालय ने उक्त निर्देश दिये।