जबलपुर. मप्र हाईकोर्ट ने मुख्यमंत्री कल्याण योजना-2012 के तहत नवीन अधिवक्ताओं को बारह हजार की वित्तीय सहायता उपलब्ध कराये जाने में बरती जा रहीं लापरवाही को गंभीरता से लिया। चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत व जस्टिस विवेक जैन की युगलपीठ ने मामले में राज्य सरकार सहित अन्य को नोटिस जारी कर जवाब पेश करने के निर्देश दिये है।
यह जनहित का मामला महाकौशल लॉ स्टूडेंट एसोसिएशन जबलपुर के अध्यक्ष अंकुश चौधरी की ओर से दायर किया गया है। जिनकी ओर से अधिवक्ता संजय वर्मा, सिद्धार्थ वर्मा और तनेश श्रीवास्तव ने पक्ष रखा।
जिन्होंने मुख्यमंत्री कल्याण योजना 2012 के तहत स्वीकृत धनराशि जारी करने में राज्य सरकार की निष्क्रियता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि उक्त योजना का उद्देश्य नव नामांकित अधिवक्ताओं को अपना व्यवसाय स्थापित करने के लिए आवश्यक कार्यालय फर्नीचर जैसे टेबल और कुर्सियां खरीदने के लिए बारह हजार रुपये की राशि प्रदान करना था।
शहर से एयर कनेक्टिविटी बढ़ाने करो प्रयास
आवेदक की ओर से कहा गया कि 16 मार्च 2023, 10 फरवरी 2025 को जारी स्वीकृति आदेशों और 24 मार्च 2025 को संशोधित आदेश में हजारों अधिवक्ताओं के लिए धन स्वीकृत करने के बावजूद, अंतिम लाभार्थी 2019 में नामांकित एक अधिवक्ता था।
इसके कारण 2019 के बाद नामांकित कई अधिवक्ता महत्वपूर्ण वित्तीय सहायता से वंचित रह गए हैं, जिससे उनकी व्यवसाय कार्यालय स्थापित करने और न्याय प्रणाली में प्रभावी ढंग से योगदान करने की क्षमता बाधित हुई है। सुनवाई दौरान न्यायालय ने टिप्पणी की कि राज्य सरकार ने योजना को पर्याप्त रूप से लागू नहीं किया है, जिससे नव नामांकित अधिवक्ताओं का कल्याण कमजोर हुआ है।
मामले में मध्य प्रदेश शासन, गृह, विधि और वित्त विभाग और मध्य प्रदेश राज्य बार काउंसिल को पक्षकार बनाया गया है। सुनवाई पश्चात् न्यायालय ने अनावेदकों को नोटिस जारी कर जवाब पेश करने के निर्देश दिये है।