चित्रकूट, देशबन्धु। रबर बोर्ड भारत सरकार और महात्मा गांधी ग्रामोदय विश्वविद्यालय के मध्य माह मई में हुए अकादमिक एमओयू के परिपेक्ष्य में कृषि प्रक्षेत्र रजौला में फिजीबिलिटी स्टडी ऑन रबर प्लांटेशन इन मध्यप्रदेश अंतर्गत 1.7 एकड़ जमीन पर रबर प्लांटेशन का शुभारंभ किया गया।
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प्लाटिंग सेरमनी के अवसर पर 300 की संख्या में रबर के पौधों का रोपण हुआ। विश्वविद्यालय के कुलगुरु प्रो. भरत मिश्रा और रबर बोर्ड के एक्सक्यूटिव डायरेक्टर एम. वासनथगेसन आईआरएस इस विशेष कार्यक्रम के प्रमुख सूत्रधार रहे। कुलगुरु प्रो. भरत मिश्रा ने रबर प्लांटेशन और प्रोडक्शन के इस प्रोजेक्ट को परिवर्तनकारी कार्यक्रम बताते हुए कहा कि इस क्षेत्र के किसानों की आर्थिक स्थिति में मजबूती के साथ-साथ क्षेत्र की जलवायु में भी परिवर्तन होगा। अधिशासी निदेशक एम. वासनथगेसन ने बताया कि आज रोपित रबर के पौधे 6 वर्ष बाद प्राकृतिक रबर का उत्पादन करेंगे। जमीन में रोपित रबर के पौधे सामान्य गमलों में रोपित पौधों से कई गुना अधिक रबर उत्पादन करने में सक्षम होंगे। प्राकृतिक रबर का मूल्य और गुणवत्ता भी अधिक होती है। रबर प्लांटेशन में संलग्न इस क्षेत्र के किसानों की आर्थिक दशा में भी सुधार होगा। प्रारंभिक वर्षो में रबर प्लांटेशन कर रहे किसान अपने खेतों में सहफसली खेती भी कर सकेंगे। कार्यक्रम संयोजक प्रो. एचएस कुशवाहा और सह संयोजक डॉ. शिवशंकर सिंह ने संयुक्त रूप से संचालन करते हुए आयोजन की पृष्ठभूमि और उद्देश्य पर प्रकाश डाला। रबर प्लांटेशन के इस कार्यक्रम में रबर बोर्ड के वैज्ञानिक पदाधिकारी, ग्रामोदय के कृषि संकाय के शिक्षक, कर्मचारी, शोधार्थी और छात्र-छात्राओं ने सहभागिता की।
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